Monday, August 10, 2020

मैं तेरी रात के पिछले पहर का लम्हा हूँ,, जो हो सके तो कभी जाग कर गुज़ार मुझे,,


हिम्मत तो इतनी थी कि
समुद्र भी पार कर सकते थे

मजबूर इतना हुए कि
दो बुंद आंसूओं ने डुबा दिया.
🌿💧🌿💧💲🌿💧🌿💧

हो सके तो,
दूर रहो मुझसे...

टूटा हुआ हूँ..
चुभ जाऊँगा.. ! !
🌾🔥🌾🔥💲🌾🔥🌾🔥

है जो आप  मे दम तो दे दो.. आज.. इन लबों पे हंसी,

कल तो हम भी ढूँढ लेंगे..
वज़ह अपने मुस्कुराने की..!
🌾🔥🌾🔥💲🌾🔥🌾🔥

*इश्क चख लिया था*
   *इत्तफ़ाक से,*

*ज़बान पर आज भी* 
          *दर्द के छाले है...*
🌾🔥🌾🔥💲🌾🔥🌾🔥

मैं तेरी रात के पिछले
पहर का लम्हा हूँ,,

जो हो सके तो कभी जाग
कर गुज़ार मुझे,,
🌿💧🌿💧💲🌿💧🌿💧

बाक़ी ही क्या रहा है
 तुझे माँगने के बाद

बस इक दुआ में छूट गए
 हर दुआ से हम
🌿💧🌿💧💲🌿💧🌿💧

पतझड़ को भी तू ,
फुर्सत से देखा कर ऐ दिल ;

हर गिरता पत्ता भी ,
तेरी ही तरह टूटा हुआ है ।
🌿💧🌿💧💲🌿💧🌿💧

*अगर बे-ऐब चाहते हो तो* 
*फरिश्तों से रिश्ता कर लो,*

*मैं इंसान हूँ और खताएं*
*होना लाज़मी हैं....*

हम जुदा हुए थे फिर मिलने के लिये,
ज़िंदगी की राहों में संग चलने के लिये,
तेरे प्यार की कशिश दिल में बसी है कुछ ईस क़दर,
दुआ है तेरा साथ मिले ज़रा संभलने के लिये..

*तुम गुज़ार ही लोगे ज़िन्दगी, हर फन में माहिर हो...!!!*

*पर मुझे तो कुछ भी नहीं आता, तुम्हे चाहने के सिवा...!!!*
🌾🍁🌾🍁💲🌾🍁🌾🍁

*बन्धन हो तो ऐसा हो,* 
*जो प्रतिबिम्ब के जैसा हो...*

*मैं देखूँ तो तुझको पाऊँ,*
 *तू देखे तो मैं दिख जाऊँ...!*!
🌾🍁🌾🍁💲🌾🍁🌾🍁

*जिन पत्थरो को*
*हमने दी थी धड़कनें...।*

*उनको जुबां मिली*
*तो हम पर ही बरस पड़े ...।।*
🌾🍁🌾🍁💲🌾🍁🌾🍁

मिल जाता है दो पल का सुकूंन
इस मोबाईल की बंदगी में

वरना परेशां कौन नहीं
अपनी-अपनी ज़िंदगी में.
🌿💧🌿💧💲🌿💧🌿💧

आज आयी जो बारिश...
तो याद आया वो जमाना,

तेरा छज्जे पे रहना...
और मेरा सड़कों पर नहाना।।
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दिल की तलाश में 
क्या मिलेगा भला...

तेरी यादों के जखीरे के सिवा 
इसमें रखा क्या है...
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*देख लो.....!*
*दिल पर कितने ज़ख़्म हैं....*

*तुम तो कहते थे.....!*
*इश्क़ मरहम है....*
🌾🔷🌾🔷💲🌾🔷🌾🔷

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